डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ ने स्टॉक मार्केट्स को बड़ी चोट पहुंचाई है। मार्केट में उतारचढ़ाव और अनिश्चितता ने ट्रेडर्स को मायूस किया है। मैं पहले से इसकी चेतावनी देता आया हूं। बड़ी बात यह है कि मार्केट हर निवेशक/ट्रेडर को डेटा के जरिए कुछ संकेत देता है। अगर आप डेटा को समझने में माहिर हैं तो आप दूसरों से पहले मार्केट के संकेतों को समझ सकते हैं। दरअसल, एनएसई की वेबसाइट पर ऐसे सभी डेटा उपलब्ध हैं, जो मार्केट को समझने के लिए जरूरी हैं।
पिछले हफ्ते के डेटा से यह संकेत मिला था कि मार्केट्स में गिरावट की रफ्तार सुस्त पड़ सकती है या थोड़े समय के लिए यह ट्रेंड उलट सकता है। टेक्निकल एनालिसिस की दुनिया में इसे पुलबैक रैली (Pullback Rally) कहा जाता है। यह इस तथ्य (Fact) पर आधारित है कि रिटेल इनवेस्टर्स का पार्टिसिपेशन स्ट्रॉन्ग बना हुआ है। नए एक्सपोजर बढ़ रहा है, जिससे पता चलता है कि रिस्क लेने की क्षमता भी स्ट्रॉन्ग बनी हुई है। बड़ी संख्या में ट्रेडर्स ‘बाय द डीप’ (buy-the-dip) की स्ट्रेटेजी का इस्तेमाल कर रहे हैं।
9 अप्रैल के मार्जिन फंडेड ट्रेडिंग के डेटा से यह पता चलता है कि ट्रेडर्स स्टॉक्स खरीदने के लिए पहले से ज्यादा कर्ज ले रहे हैं। बीते 10 सत्रों (Sessions) में कर्ज के पैसे से खरीदे गए शेयरों की संख्या 3.24 फीसदी बढ़ी है। बीते 20 सत्रों में यह 3.36 फीसदी बढ़ी है। 30 सत्रों में यह 1.63 फीसदी बढ़ी है। इससे यह साफ हो जाता है कि बीते 10 सत्रों में रिटेल टेडर्स की खरीदारी में दिलचस्पी काफी बढ़ी है।
हम यह समझ चुके हैं कि मार्केट में पुलबैक रैली की संभावना है। अब बड़ा सवाल यह है कि क्या आपको इस पुलबैक रैली से पहले स्टॉक्स खरीदने चाहिए?
इससे पहले के मेरे लेख में मैंने सांता क्लॉज रैली, प्री-बजट रैली और ‘मार्च मैजिक’ रैली में स्टॉक्स खरीदने से मना किया था। मैंने इससे पहले procyclical hysteresis फेज के बारे में भी बता चुका हूं। यह फेज रिटेल इनवेस्टर्स के लिए मुश्किल समय होता है। दरअसल, ट्रेडर्स के लिए बुल फेज में कमाई करना जरूरी है और बेयर फेज में लॉस से बचना जरूरी है। मार्केट्स में अभी हायर लेवल पर काफी ज्यादा सप्लाई दिख रही है। इसकी वजह यह है कि इनवेस्टर्स हायर लेवल पर फंसे होते हैं और गिरते बाजार में वे स्टॉक्स नहीं बेचना चाहते हैं। वे अपने स्टॉक्स बेचने के लिए ब्रेक-इवन-प्वाइंट (न नफा, न नुकसान) का इंतजार करते हैं। इसका मतलब है कि मार्केट्स में तेजी आने पर बिकवाली का दबाव दिख सकता है।
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अभी Nifty 50 के 23,250 के लेवल पर प्राइमरी ओवरहेड सप्लाई दिख रही है। सेकेंडरी ओवरहेड सप्लाई 23,800 पर दिख रही है। इस बात की संभावना है कि बड़े सेलिंग प्वाइंट पर इंस्टीट्यूशनल और रिटेल सेलर्स की बड़ी बिकवाली दिख सकती है। अगर मार्केट में पॉजिटिव ट्रिगर्स दिखते हैं तो यह ओवरहेड सप्लाई अच्छी साबित हो सकती है। हालांकि, किसी निगेविट न्यूज के आने पर इन प्वाइंट्स से पहले ही बिकवाली देखने को मिल सकती है। आपको ‘ट्रंप टैंट्रम’ को भूलने की जरूरत नहीं है।
विजय भंबवानी
(लेखक एक प्रॉपरायटरी ट्रेडिंग फर्म के फाउंडर और सीईओ हैं। यह व्यक्त विचार उनके निजी विचार हैं। इसका इस पब्लिकेशन से कोई संबंध नहीं है।)