Indo-US trade deal: भारत और अमेरिका के बीच होगी ट्रेड डील, इन सेक्टरों को बड़ी रियायत मिलने की उम्मीद - PL कैपिटल - trade deal between india and america soon sectors like auto consumer goods liquor and technology are expected to get big concessions - pl capital - Finance With Guruji

Indo-US trade deal: भारत और अमेरिका के बीच होगी ट्रेड डील, इन सेक्टरों को बड़ी रियायत मिलने की उम्मीद – PL कैपिटल – trade deal between india and america soon sectors like auto consumer goods liquor and technology are expected to get big concessions – pl capital

Brokerage report : PL कैपिटल ने हाल ही में जारी अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत की मौद्रिक नीति साफतौर पर महंगाई पर नियंत्रण करने के रुख से हटकर विकास को सपोर्ट करने पर अधिक फोकस करने की ओर शिफ्ट हो गई है। अप्रैल 2025 में, RBI ने रेपो रेट को 25 बेसिस प्वाइंट घटाकर 6.00% कर दिया और अपने रुख को बदलकर ‘अकोमोडेटिव’ कर दिया। यह मौद्रिक नीति में आगे और अधिक नरमी आने के संकेत दे रहा है। फरवरी के बाद दरों में लगातार दूसरी कटौती हुई है। आरबीआई ने महंगाई और विकास में संतुलन बनाए रखते हुए ग्रोथ पर फोकस करने के नीतिगत बदलाव के संकेत दिए हैं। यह नीतिगत बदलाव बदलती मैक्रो स्थितियों के चलते आया है, जो 2-3 महीने पहले की स्थिति से काफी अलग नजर आ रहा है।

महंगाई के 4.0% के आसपास बने रहने की उम्मीद है, कोर महंगाई स्थिर है, ग्लोबल कमोडिटी की कीमतें कम हो रही हैं और ग्रोथ से जुड़े बाहरी जोखिम बढ़ रहे हैं। आरबीआई के पास दरों में कटौती करने की गुंजाइश और वजह दोनों ही हैं। PL कैपिटल का मानना है कि जून 2025 में ब्याज दरों में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती हो सकती है। PL कैपिटल को वित्त वर्ष 2026 में ब्याज दरों में कुल 75-100 बेसिस प्वाइंट की कटौती की उम्मीद है, जिससे टर्मिनल रेपो रेट घट कर 5.0-5.25% तक आ सकती है। अगर महंगाई उम्मीद से कम रहती है तो रेपो रेट वित्त वर्ष 2026 की चौथी तिमाही तक घट कर 5.00% तक पहुंच सकती है।

पीएल कैपिटल का अनुमान है कि भारत,अमेरिका के साथ एक व्यापार समझौते को अंतिम रूप देगा,जिसमें ऑटो, कंज्यूमर गुड्स, डिफेंस, तेल और गैस, शराब और टेक्नोलॉजी जैसे सेक्टरों में महत्वपूर्ण रियायतें मिल सकती हैं। कृषि और डेयरी जैसे प्रमुख सेक्टरों पर नज़र रहेगी। भारत को कपड़ा और परिधान, एलजीडी और अन्य सेक्टरों में फायदा हो सकता है। ग्लोबल सप्लाई चेन में होने वाले बदलावों का पूरा प्रभाव अगले कुछ महीनों में स्पष्ट हो जाएगा।

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