ताइवान से घटाकर भारतीय शेयर बाजार में पैसे डालेंगे जेफरीज के क्रिस वुड, बताईं 5 बड़ी वजहें - jefferies turns overweight on india trims taiwan exposure citing 5 key reasons - Finance With Guruji

ताइवान से घटाकर भारतीय शेयर बाजार में पैसे डालेंगे जेफरीज के क्रिस वुड, बताईं 5 बड़ी वजहें – jefferies turns overweight on india trims taiwan exposure citing 5 key reasons

दुनिया भर के शेयर बाजारों में जारी उथलपुथल के बीच ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म जेफरीज (Jefferies) के क्रिस्टोफर ‘क्रिस’ वुड भारत पर बुलिश नजर आ रहे हैं। उन्होंने अपने एशिया पैसिफिक एक्स-जापान पोर्टफोलियो में भारत का वेटेज 2 प्रतिशत तक बढ़ाने का फैसला किया है। उन्होंने अपनी रिपोर्ट ‘ग्रीड एंड फीयर’ में बताया कि भारत का वेटेज बढ़ाने के लिए ताइवान का वेटेज उतनी ही मात्रा में घटाया जाएगा।

क्यों बढ़ा भारत पर भरोसा?

जेफरीज के इंडिया रिसर्च हेड महेश नंदुरकर ने “फाइव रीजन टू ओवरवेरट इंडिया” नाम से एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में उन्होंने भारतीय शेयर बाजार पर बुलिश होने के पीछे के 5 कारण बताए हैं-

ये हैं वो 5 कारण जिनके चलते जेफरीज ने भारत को ओवरवेट किया-

1. अमेरिका पर कम निर्भरता

भारत की अर्थव्यवस्था का अमेरिका पर निर्भरता दूसरे एशियाई देशों की तुलना में कम है। भारत की अमेरिका के साथ कुल वस्तु निर्यात जीडीपी का सिर्फ 2.3% है और ट्रेड सरप्लस 1.2% है, जबकि कोरिया और ताइवान जैसे देशों में यह अनुपात क्रमशः 7%/15% और 4%/10% है। इस कम निर्भरता से व्यापारिक अस्थिरता का जोखिम घटता है।

2. टैरिफ दरें तुलनात्मक रूप से कम

अमेरिका ने भारत पर 26% का रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने का ऐलान किया था। यह टैरिफ दर भले ही ऊंची लगती हो, लेकिन यह चीन (104%), इंडोनेशिया (32%) और ताइवान (32%) जैसे दूसरे एशियाई देशों से कम है। भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते को लेकर बातचीत सकारात्मक दिशा में जा रही है।

3. कच्चे तेल की गिरती कीमतें भारत के लिए फायदेमंद

ब्रेंट क्रूड ऑयल का दाम इस साल 20% तक गिरकर 60 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया है। भारत दुनिया के सबसे बड़े क्रूड ऑयल खरीदने वाले देशों में से एक है, ऐसे में कीमतों में गिरावट से करेंट अकाउंट डेफिसिट (CAD), महंगाई और राजकोषीय संतुलन बेहतर होता है। सरकार ने एक्साइज ड्यूटी में बढ़ोतरी से करीब 32,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आमदनी सुनिश्चित की है।

4. FPI निवेशकों की भारत में वापसी की संभावना

सितंबर 2024 से अब तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) ने भारत से करीब 27 अरब डॉलर की निकासी की है। लेकिन अब आंकड़ों और निवेशकों से बातचीत से संकेत मिल रहे हैं कि कई विदेशी फंड भारत में अपनी अंडरवेट पोजिशन को घटाने की तैयारी में हैं, जिससे निकट भविष्य में विदेशी निवेश की वापसी संभव है।

5. RBI की लिक्विडिटी पॉलिसी में नरमी

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपनी मॉनिटरी पॉलिसी को ‘न्यूट्रल’ से बदलकर ‘अकोमोडेटिव’ कर दिया है, जिसका मतलब है कि बैंकिंग सिस्टम में तरलता बनी रहेगी। दिसंबर 2024 से RBI ने अब तक 8.5 लाख करोड़ रुपये (जीडीपी का 2.6%) की लिक्विडिटी सिस्टम में डाली है। इससे बैंकिंग सिस्टम को सपोर्ट मिलेगा और डिपॉजिट रेट में कटौती आसान होगी। जेफरीज के इस फैसले को भारत में लंबी अवधि के निवेश के नजरिए से सकारात्मक संकेत माना जा रहा है।

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