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Sesame Farming Tips: तिल की नई उन्नत किस्म ‘विभूति’ की खेती से किसानों को न केवल बेहतर उत्पादन मिल रहा है, बल्कि बाजार में इसकी मांग और दाम भी अच्छे मिल रहे हैं. तिलहन फसलों की खेती करने वाले किसानों को तिल की …और पढ़ें

तिल की उन्नत किस्म – विभूति
हाइलाइट्स
- तिल की नई किस्म ‘विभूति’ से बेहतर उत्पादन मिलता है.
- प्रति हेक्टेयर 5 किलो बीज की जरूरत होती है.
- वैज्ञानिक विधियों से 20-25% अधिक उत्पादन संभव.
रायपुर. उन्नत खेती की ओर कदम बढ़ाते हुए छत्तीसगढ़ के किसान अब पारंपरिक विधियों की जगह वैज्ञानिक तकनीकों को अपनाकर फसल उत्पादन और आमदनी दोनों बढ़ा रहे हैं. तिल की नई किस्म ‘विभूति’ इसी दिशा में एक अहम कदम साबित हो रही है. इसकी खेती से किसानों को न केवल बेहतर उत्पादन मिल रहा है, बल्कि बाजार में इसकी मांग और दाम भी अच्छे मिल रहे हैं. तिलहन फसलों की खेती करने वाले किसानों को तिल की ‘विभूति’ किस्म की खेती से काफी मुनाफा हो सकता है.
खेती के लिए बेस्ट है तिल की विभूति किस्म
कृषि विशेषज्ञों द्वारा तिल के विभूति किस्म की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 5 किलो बीज की दर से बुआई की सिफारिश की गई है. बीजोपचार के लिए कार्बेंडाजिम, पी.एस.बी., एजोटोबैक्टर और जे.एस.बी. का समावेश करना चाहिए. जिससे बीज अंकुरण दर बेहतर होता है और पौधे रोग प्रतिरोधक बनते हैं. साथ ही, के.एस.बी. का उपयोग बीज को आवश्यक पोषक तत्वों से समृद्ध करता है. खाद प्रबंधन की बात करें तो खेत में 5 टन गोबर की खाद के साथ 60:40:20 एन.पी.के. और 25 किलो जिंक प्रति हेक्टेयर देने की आवश्यकता है. इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और पौधों की वृद्धि भी संतुलित होती है.
किसान ऐसे करें खरपतवार का प्रबंधन
सिंचाई भी वैज्ञानिक तरीके से तीन चरणों में की जाती है पहली सिंचाई 25-30 दिन में, दूसरी 40-55 दिन और तीसरी 60-65 दिन में की जाती है, जिससे पौधों को समय पर नमी मिलती है. खरपतवार प्रबंधन के लिए बुआई से पहले और बाद में औषधीय छिड़काव का उपयोग करना चाहिए, जिसमें ऑक्सीफ्लोरोफेन और मेट्रीब्यूजिन जैसे प्रभावी रसायन को शामिल करना चाहिए. वहीं कीटनाशकों में थायोमेथोक्सम का उपयोग कर फसल को कीटों से सुरक्षित रखने में मदद करता है. फफूंदनाशक के रूप में किसान कार्बेंडाजिम और मैंकोजेब का स्प्रे भी कर सकते हैं. इससे पत्तियों पर आने वाली बीमारियों और धब्बों को रोकने में मदद मिलेगी.
ऐसे बढ़ जाएगी तिल की उत्पादकता
इन वैज्ञानिक विधियों के उपयोग से किसानों को 20-25% तक अधिक उत्पादन मिल सकता है. एक ओर जहां तिल की यह किस्म सूखा सहन करने में सक्षम है, वहीं दूसरी ओर इसका बाजार मूल्य भी अधिक है, जिससे किसानों को लाभकारी मूल्य प्राप्त होने की संभावना है. इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के कृषि वैज्ञानिकों और विभाग की सतत निगरानी और मार्गदर्शन से यह संभव हो पा रहा है. किसानों को प्रशिक्षण, बीज एवं औषधियों की उपलब्धता और तकनीकी सहयोग मिल रहा है. तिल की ‘विभूति’ किस्म ने यह साबित कर दिया है कि वैज्ञानिक खेती से न केवल उत्पादन बढ़ाया जा सकता है बल्कि किसानों की आमदनी में भी इजाफा किया जा सकता है. यदि इसी तरह आधुनिक तकनीक और परामर्श का लाभ लिया जाए, तो प्रदेश में खेती एक लाभकारी व्यवसाय के रूप में उभर सकती है.